दिशा छात्र संगठन
प्रयागराज, 18 जून ।
परिचर्चा में बात रखते हुए दिशा छात्र संगठन के अविनाश ने बताया कि अय्यंकालि उन जाति विरोधी योद्धाओं में से थे जिन्होंने समानता का हक़ हासिल करने के लिए एक जुझारू लड़ाई लड़ी और कामयाब हुए। आज ज्यादातर लोग अय्यंकालि के बारे में नहीं जानते हैं। अय्यंकालि का जन्म केरल की सर्वाधिक उत्पीड़ित दलित जातियों में से एक पुलयार जाति में हुआ था। उन्हें नायर जाति के जमींदारों से लेकर उच्च जातियों के अपमानजनक और बर्बर किस्म के दमन और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता था। इस स्थिति ने अय्यंकालि को बदलाव के लिए प्रेरित किया। अय्यंकालि शुरू से ही समझते थे कि उच्च जातियों द्वारा दलितों के दमन और उनके खिलाफ की जाने वाली हिंसा के प्रश्न पर अंग्रेज सरकार कुछ नहीं करने वाली इसलिए इस हिंसा और दमन का जवाब उन्होंने खुद सड़कों पर देने का रास्ता अपनाया। अय्यंकालि ने दलितों को सड़क पर चलने और पुलयार जाति की स्त्रियों के लिए ऊपरी शरीर को ढकने का अधिकार दिलवाया। उन्होंने दलित बच्चों को सरकारी स्कूल में दाखिले का अधिकार दिलवाया।
अय्यंकालि ने सिद्ध किया कि दमित और उत्पीड़ित आबादी ना सिर्फ लड़ सकती है बल्कि जीत भी सकती है। आज अय्यंकाली के संघर्ष को याद करना जाति उन्मूलन के आंदोलन को सुधारवाद और व्यवहारवाद के गोल चक्कर से निकालने के लिए जरूरी है। कार्यक्रम में अमित, चंद्र प्रकाश, रजनीश, विकास, अंजलि, शिवा ,निशू, अंजलि, सौम्या आदि मौजूद रहे।
भवदीय
अविनाश
दिशा छात्र संगठन
9891951393
No comments:
Post a Comment